Climate Change:जलवायु परिवर्तन और लू कि तीव्रता।
जलवायु परिवर्तन Climatic Change से आप क्या समझते हैं? एक नए विवेचन से मानव द्वारा जनित जलवायु परिवर्तन और अधिक मौसमी घटनाओं की तीव्रता के बीच परेशान करने वाले संबंधो का पता चला है। क्लाइमेट परिवर्तन के इस विवेचन की मानें तो 14-16 जून 2023 के बीच पूरे उत्तर प्रदेश में चलने वाली और तीन दिन चली मारक लू की संभावना जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण कम से कम दो गुना अधिक पाई गई।
दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एक नए विवेचन से मानव-जनित जलवायु परिवर्तन और अधिक मौसमी घटनाओं की तीव्रता के बीच परेशान करने वाले संबंधो का पता चला है। क्लाइमेट परिवर्तन इस विवेचन की मानें तो 14-16 जून 2023 के बीच पूरे उत्तर प्रदेश में चलने वाली और तीन दिन चली मारक लू की संभावना। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण कम से कम दो गुना अधिक पाई गई।
क्लाइमेट परिवर्तन की इस रिपोर्ट के नतीजे भारत में बढ़ते तापमान और हीटवेव के बारे में चिंता पैदा करते हैं और साथ ही तत्काल कार्रवाई की जरूरत पर जोर देते हैं।
बात उत्तर प्रदेश पर लू के प्रभाव की है।
जलवायु परिवर्तन का पभाव:- उत्तर प्रदेश में अत्यधिक गर्मी की घटना ने लाखों लोगों को प्रभावित किया और तमाम व्यवधान उत्पन्न किए। क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (सीएसआई) नाम के एक इंडेक्स या अनुक्रमणिका को नियोजित करते हुए क्लाइमेट सेंट्रल का यह विवेचन को स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मानव जनित जलवायु परिवर्तन ने लू को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक से ऊपर का सीएसआई स्तर साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने की ओर इशारा करता है, जबकि दो व पांच के बीच का स्तर दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन ने ऐसे चरम तापमान के होने की संभावना को दो से पांच गुना अधिक बढ़ा दिया है। जून के इन दिनों में उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र, चिंताजनक रूप से, सीएसआई स्तर तीन तक पहुंच गए, जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हीटवेव के बढ़ते खतरे को उजागर करता है। इस संदर्भ में रियल टाइम एट्रिब्यूशन बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है।
क्या होता है रियल टाइम एट्रिब्यूशन? रियल टाइम एट्रिब्यूशन अध्ययन चरम मौसमी घटनाओं पर मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापता है। जलवायु परिवर्तन की भूमिका निर्धारित करने के लिए चल रही घटनाओं के दौरान भी ये विश्लेषण तेजी से किए जाते हैं। मौसम अवलोकन और जलवायु माडल का उपयोग करके, ये बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन ऐसी घटनाओं की तीव्रता और संभावना को कैसे प्रभावित करता है। ये अध्ययन जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम के बीच संबंध को समझने, नीतियों और कार्यों का मार्गदर्शन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
विशेषज्ञों की राय:- इंपीरियल कालेज लंदन के शोधकर्ता और वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) के सह-प्रमुख डा फ्रीडेरिक ओटो के अनुसार, “हम बार-बार देखते हैं कि जलवायु परिवर्तन नाटकीय रूप से लू, जो सबसे घातक मौसम में से एक है, की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाता है।”
खास तौर से शहरी संदर्भों में जहां ‘हीट आइलैंड’ प्रभाव तापमान को और बढ़ा सकता है। जब तक कार्बन उत्सर्जन में तेजी से कमी नहीं की जाती, ये जीवन-घातक घटनाएं अधिक लगातार और तीव्र होती जाएंगी।”