जीवाश्म ईंधन के दहन और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन की गम्भीर समस्या उत्पन्न हुई है। यदि जलवायु परिवर्तन को समय रहते न रोका गया तो लाखों लोग भुखमरी, जल संकट और बाढ़ जैसी विपदाओं का शिकार होंगे।
यह संकट पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर गरीब देशों पर पड़ सकता है । इसके साथ ही इसका सबसे ज्यादा असर ऐसे देशों को भुगतना पड़ेगा, जो जलवायु परिवर्तन के लिये सबसे कम जिम्मेदार हैं। पिछड़े और विकासशील देशों पर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समस्याओं का खतरा अधिक होगा।
जलवायु परिवर्तन आर्कटिक क्षेत्र, अफ्रीका और छोटे द्वीपों को अधिक प्रभावित कर रहा है। उत्तरी ध्रुव शेष दुनिया की तुलना में दोगुनी दर से गर्म हो रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी कुछ वर्षों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान उत्तरी ध्रुव की बर्फ पिघल जाएगी।
जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में अपने दुषप्रभाव दिखा रहा है वैज्ञानिकों का मानना है कि औद्योगिक क्रांति के बाद से दुनिया में मानवीय गतिविधि इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है, लेकिन इसके सबूत अभी तक नहीं मिले थे