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“जलवायु परिवर्तन” शुभ या….अशुभ…. |

जल और वायु का हमारे जीवन पर कैसे पभाव डालता है|

जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए भारत की कोशिशें लगातार जारी हैं

 

और तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की तारीफ भी हो रही है। हाल ही में COP 27 में भारत द्वारा अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक यानि CCPI-2023 में 63 देशों की सूची में भारत दो रैंक बढ़ कर आठवें स्थान पर पहुंच गया।

ऐसा माना जा रहा है कि निम्न उत्सर्जन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लगातार बढ़ते उपयोग के चलते भारत की रैंकिंग सुधरी है। पिछले वर्ष भारत दसवें स्थान पर था अलावा भारत ने अपने लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किये है जैसे कि 2030 तक भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक ले जाना, 2030 तक भारत की कार्बन तीव्रता को 45% से अधिक कम करना और 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन आदि।

जलवायु परिवर्तन की समस्या इतनी जटिल है कि इससे सिर्फ सरकारी फैसले से नहीं निपटा जा सकता। इसमें जब तक हम और आप जैसे आम आदमियों की भागीदारी नहीं होगी तब तक यह समस्या यूं ही बनी रहेगी।

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